उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार 19 जुलाई को कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी ढाबों, दुकानों और ठेले मालिकों के लिए एक आदेश जारी किया है. इस आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि सभी दुकानदार, ढाबा मालिक और ठेले मालिक अपने मालिक का नाम और पहचान दोनों लिखें, ताकि कांवड़ यात्री यह जान सकें कि वह किस दुकान से सामान खरीद रहे हैं. सीएम योगी के इस आदेश के बाद जहां बवाल मचा हुआ है, वहीं मुजफ्फरनगर जिले में एक ढाबे से चार मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया.
22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है. कांवड़ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं. ऐसे में सरकार और प्रशासन की ओर से लगातार नई गाइडलाइन भी जारी की जा रही हैं. इसी क्रम में कुछ दिन पहले मुजफ्फरनगर पुलिस-प्रशासन की ओर से एक आदेश जारी किया गया था. इस आदेश में मुजफ्फरनगर पुलिस की ओर से कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर जो भी दुकानें होंगी, उसके मालिक को दुकान पर अपना नाम लिखना होगा. यह आदेश सबसे पहले मुजफ्फरनगर में सुर्खियों में आया था.
ढाबा मालिक ने कहा- पुलिस के आदेश पर हटाया गया
जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो मुजफ्फरनगर पुलिस को आदेश वापस लेना पड़ा, लेकिन अब खुद योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में यह आदेश जारी कर दिया है। योगी सरकार के आदेश पर बवाल भी मचा हुआ है। इसी बीच मुजफ्फरनगर के खतौली कोतवाली क्षेत्र में एनएच-58 बाईपास पर स्थित साक्षी ढाबा नामक ढाबे पर काम करने वाले चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया। ढाबे से मुस्लिम कर्मचारियों को क्यों हटाया गया, यह जानने के लिए जब ढाबा मालिक लोकेश से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन के लोग आए थे, जिन्होंने मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने की बात कही।
मुस्लिम कर्मचारियों को हटाना गलत
पुलिस-प्रशासन के आदेश का पालन करते हुए उन्होंने चार मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया। इनमें से दो मुस्लिम कर्मचारी ढाबे पर कारीगर का काम कर रहे थे, जबकि दो मुस्लिम कर्मचारी अन्य काम करते थे, जिनमें से एक बिहार का रहने वाला था। ढाबा मालिक लोकेश का कहना है कि मुस्लिम कर्मचारियों को हटाना सही नहीं है, लेकिन दुकानों पर मालिक का नाम लिखा जाना सही है, क्योंकि कावड़ यात्रा के दौरान शिवभक्त जहां चाहें खाना खा सकते हैं, लेकिन मुस्लिम कर्मचारियों को हटाना गलत है।